Wednesday, September 2, 2009

हर साल लाखों विद्यार्थी विभिन्न शिक्षा बोर्डों और विश्विद्यालयों की की विभिन्न परीक्षाओं में भाग लेते हैं .स्कूलोंकोलेजों में अनेक प्रकार की परिक्षाए आयोजित की जाती हैं. किसी अच्छे स्कूल कोलेज में प्रवेश लेना हो तो प्रवेशपरीक्षा दो कोई नोकरी पानी हो तो परीक्षा में बेठो
परीक्षा वास्तव में किसी के गुण,सामर्थ्य अथवा योग्यता की जाँच के लिए होती है। हमारी सिक्षा प्रणाली की रीडपरीक्षा है हमारे स्कूलों कोलेजों ,विश्वविधालयों में जो कुछ पढाया पढ़वाया जाता है। इस सब का लक्ष्य परीक्षाहोता है ।तीन घंटे अथवा इससे भी कम समय में छात्र द्वारा वर्ष भर पढ़ा समझा विषय कैसे जांचा परखा जा सकताहै? प्रश्न पत्रों का निर्माण वैज्ञानिक ढंग से नही होता है परीक्षा भवन में नक़ल जैसे अनुचित उपाय सम्पूण परीक्षाप्रणाली पर पिर्ष्ण चिन्ह लगा देते हैं
जिस प्रकार भक्तों के लिए राम नाम का ही सहारा उसी प्रकार छात्रों के लिए नक़ल सहारा है परीक्षाओं के समयछात्र साड़ी रात चिटें बनते हैं इसके लिए सारी कितबों को फाड़ डालते हैं वर्ष भर टूशन पढ़ने वाले अध्यापकसाल भर छात्रों का धन हरते हैं वे परीक्षा में पास करवाने का जिम्मा भी लेते हैं परीक्षाओं में चिटें भी उपलब्धकरवाते हैं
कुछ छात्र आज भी परीक्षाओ में साड़ी रात किताबों ,guides को फाड़ते हैं
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